भारत ही एकमात्र ऐसा सौभाग्यशाली राष्ट्र है , जहॉं प्रकृति ने ६ ऋतुयें
प्रदान की है। बसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु की बिताई शुरु हो जाती है।
चारो ओर रंग- बिरंगे फूल खिलने लगते हैं और बसंती बयार चलने लगती है। आज ही
के दिन घर-घर में , हर गली-नुक्कड़ - मुहल्ले में, विद्यालयों में धूमधाम
से विद्यादायिनी सरस्वती की पूजा की जाती है ।
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे ।
बसंतोत्सव की आप सभी को भूरी भूरी शुभकामानाएं ....!!!
|| जय माँ शारदा ||
आर.के.सिन्हा
सांसद , राज्यसभा
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे ।
बसंतोत्सव की आप सभी को भूरी भूरी शुभकामानाएं ....!!!
|| जय माँ शारदा ||
आर.के.सिन्हा
सांसद , राज्यसभा
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