उत्तर प्रदेश देश की रेप राजधानी के रूप में
तेजी से अपनी जगह बना रहा है। राज्य में पिछले साल 15 मार्च,2016 से लेकर 18 अगस्त,2016 के बीच 1,012 रेप के मामले दर्ज हुए। ये जानकारी अखिलेश
सरकार ने खुद विधानसबा में भाजपा के सदस्य सतीश महाना के एक सवाल के जवाब में दी है I उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े चीख-चीखकर यह गवाही दे रहे हैं राज्य में
2014 और 2015 के बीच रेप के मामलों
मे तीन गुना से ज्यादा वृद्धि हुई। जहां साल 2014 में राज्य में 3,467 रेप के मामले सामने आए, वहीं 2015 में 9,075 रेप के केस दर्ज
हिए। यानी रेप के मामलों में तीन गुना इजाफा हुआ।
नेशनल
क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की भी एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश देश के औरतें के लिहाज से सबसे असुरक्षित राज्यों में शामिल हैं। उत्तर प्रदेश राज्य महिला कमीशन
के प्रमुख जरीना उस्मानी भी यही मानती हैं कि औरतें के खिलाफ अपराध राज्य में बढ़े ही हैं। दरअसल पिछले
साल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में नेशनल हाइवे पर मां-बेटी के साथ हुए गैंगरेप के
मामले ने देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। तब देश भर को पता चला था कि उत्तर प्रदेश में किस तरह से जंगलराज
बढ़ता जा रहा है और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में लगातार बढ़ोतरी होती
जा रही है। यही नहीं रेप की कोशिश के मामलों में भी 30 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सबको
पता है कि ऐसी कोशिशों को पुलिस छेड़खानी कहकर टाल देती है और मामला दर्ज नहीं करती
I
उत्तर प्रदेश में होने वाले अपराध देश के अन्य राज्यों के अपराधों से औसतन दो गुना अधिक हैं। देश में जहां वर्ष 2010 से 2014 के बीच रेप के मामलों की संख्या 22,172 से बढक़र 36 हजार 735 हो गई। वहीं उत्तर
प्रदेश में रेप के मामलों की संख्या में इसी दौरान 121 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश दलितों के लिए
भी बेहद असुरक्षित होता जा रहा है। वर्ष 2015 में दलितों के
खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा 8358 मामले भी देश में
सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में ही दर्ज किए गए हैं। नेशनल
क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों में यह तथ्य उजागर हुए हैं। एनसीआरबी का कोई भी आँकड़ा केंद्र सरकार की कोई एजेंसी इकट्ठा नहीं करती बल्कि, राज्यों के एससीआरबी (स्टेट क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो) द्वारा भेजे गए आंकड़ों
का ही संकलन और विश्लेषण मात्र करती है I
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में यूपी में हत्या के सबसे ज्यादा 4732 मामले दर्ज किए गए।
इसके बाद बिहार में 3178का आंकड़ा रहा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में तो यूपी सबसे आगे रहा। यहां
ऐसे 35527 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद पश्चिम बंगाल रहा।
अब उत्तर प्रदेश के एक और श्याम पक्ष को भी देख
लीजिए। देश के 53 बड़े शहरों में होने वाले जघन्य अपराधों के
आंकड़ों में एनसीआरबी ने उत्तर प्रदेश के जिन सात शहरों को शामिल किया है, उनमें लखनऊ और आगरा में सबसे अधिक अपराध हुए। उत्तरप्रदेश में 2015 में लखनऊ में सबसे अधिक 118 नागरिकों की हत्याएं हुईं। 2014 में यहां 109 हत्याएं हुई थीं। वहीं 92 हत्याओं के साथ मेरठ दूसरे और 74
हत्याओं के साथ आगरा तीसरे
नंबर पर रहा। देश के स्तर पर सबसे अधिक 490 हत्याएं राजधानी
दिल्ली में हुईं। लखनऊ में हर दिन 24
रेप, 21 अटेम्ट टू रेप, 13 मर्डर, 33 किडनैपिंग, 19 दंगे और 136 चोरियां। कुल एक दिन में 7650 क्राइम की घटनाएं। ये देश के सबसे बड़े क्राइम स्टेट यूपी का 1 दिन का यह रिपोर्ट कार्ड है । अब जरा इसे 365 दिन से गुणा कीजिए तो सर चकरा देने वाला डाटा सामने आएगा। ऐसा तब है जब यूपी
पुलिस आए दिन अधिकांश अपराधों के मामलों में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं
करती है।
इसकी
शिकायत अबतक तो अखिलेश यादव के नए बने मित्र राहुल गांधी की पार्टी ही करती रही है
I अब भले ये यह नया नारा लगा रहे हैं, कि, “ यू. पी. को यह साथ पसंद है I” अब पसंद है या नहीं
इसका खुलासा तो 11 मार्च को होने वाला ही है I किसकी होली मनती है और किसकी खराब होती है, यह देखने
का इंतज़ार सभी बेसब्री से कर रहे हैं|
आर.के.सिन्हा
(लेखक राज्य सभा सांसद एवं
हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषीय समाचार सेवा के अध्यक्ष हैं)
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